मेरा वजूद
बयार सी महकती मैं,
आसमाँ सी स्वछंद।
बारिश की बूंदों सी अल्हड़ मैं,
धरा पर नाचती मोर सी मैं,
सुबह का सूरज भी मैं ही हूँ और,
तिमिर को रोशन करता चाँद भी।
मैं ही संगीत हूँ और मैं ही ख़ामोशी भी,
मैं हर जगह हूँ देदीप्यमान,
बस तुम्हारी निगाहों में नहीं हूँ।
तुम्हारे नकारने से मेरा अस्तित्व,
खत्म नहीं हो जाएगा।
तुम्हारे आँखे बंद करने से,
दिन में अंधेरा नहीं हो जायेगा।
तुम स्वीकारो या न स्वीकारो,
मैं रौशनी बनकर चमकती रहूँगी,
हर दिशा में।
मेरा वजूद मुझसे है,
तुम्हारे नकारने से वो,
खत्म नहीं हो जायेगा
❤सोनिया जाधव
#लेखनी दैनिक प्रतियोगिता
N.ksahu0007@writer
02-Feb-2022 09:41 PM
बहुत ही अच्छा लिखा आपने
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Seema Priyadarshini sahay
02-Feb-2022 09:25 PM
बहुत खूबसूरत
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Swati chourasia
02-Feb-2022 04:19 PM
बहुत खूब 👌
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